हकीम अजमल ख़ान का जन्म 1868 में, दिल्ली के प्रसिद्ध शरीफ खान परिवार में हुआ था, इस परिवार के पूर्वजों ने भारत में मुग़ल सल्तनत की नीव रखने वाले मुग़ल शासक बाबर की दरबारी हकीम के रूप सेवा की। एक बार 1892 में, योग्य हकीम अजमल खान रामपुर के नवाब के मुख्य चिकित्सक नियुक्त किये गये थे। उसी समय वे सैयद अहमर खान से मिले और अलीगढ़ कॉलेज के मुख्य ट्रस्टी नियुक्त किये गये, जिसे बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से जाना गया।. हकीम अजमल खान ने स्वदेशी उपचार की प्रणाली - यूनानी, के प्रचार-प्रसार व विकास में काफी रुचि ली। उनके हकीम परिवार ने भारत के ब्रिटिश शासकों के डॉक्टर के रूप में सेवायें प्रदान कीं। लेकिन जब ब्रिटिश सरकार ने अपना रुख बदला और आयुर्वेद और यूनानी जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की मान्यता को समाप्त करने का प्रयास किया तो इन अजमल खान ने ब्रिटिश राज के विरुद्ध विरोध करने के लिये सभी साथी चिकित्सकों को एक मंच पर एकत्र किया। इसके पश्चात, जब ब्रिटिश लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन को दबाया और कई मुस्लिम नेताओं को गिरफ्तार कर लिया तो हकीम अजमल खान ने महात्मा से सहायता की मांग की और उनके साथ मिल कर खिलाफत आंदोलन को शुरु किया। उनको 1921 में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया और उन्होने सभी अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ मिल कर जलियांवाला बाग हत्याकांड की भर्त्सना की थी। उनको पुलिस अधिकारियों द्वारा कई महीनों तक जेल में रखा गया। हकीम अजमल खान ने सीखने की एक ऐसी जगह की परिकल्पना की जो सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो। उन्होने अन्य मुस्लिम दिग्गजों की सहायता के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर कार्य किया। महात्मा गांधी के सरकारी संस्थानों के बहिष्कार के आवाह्न पर, अन्य मुस्लिम नेताओं के साथ अलीगढ़ में 1920 में, उन्होने जामिया मिलिया इस्लामिया (इस्लामिक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय) का शुभारंभ किया। अब यह एक प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया है और अजमल खान इसके पहले कुलपति थे। हकीम अजमल खान ने यूनानी और आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के लिये एक सुविधा की स्थापना भी की थी और एक दिकतात जारी किया कि शरीफ मंसिल में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों को दवाखाने की दवाओं को लिखना होगा। दवाखाने के पास पेटेंट किये हुये 84 जादुई हर्बल फार्मूले हैं। तिब्बिया कॉलेज वर्तमान समय में दिल्ली के करोल बाग इलाके में स्थित है। इनके सम्मान में करोल बाग का सबसे लोकप्रिय हिस्सा आज भी अजमल खान रोड के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद और यूनानी उपचार पद्धति के सर्वश्रेष्ठ योगदानकर्ता, हकीम अजमल खान का 1927 में निधन हो गया। हलांकि अजमल खान ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सभी उपाधियां वापस कर दी थीं, भारतीयों ने उनके कार्यों को देखते हुये मसीह-उल-मुल्क की उपाधि प्रदान की। |
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